Wednesday, October 16, 2024

बेटी


बेटी

                     Photo credit @ Roop Singh 

बेटी


माँ, जब मैं छोटी थी...
मिट्टी से खेला करती थी...
मिट्टी का घर बनाते वक्त.....
मैंने दर्ज की ! तुम्हारी तकलीफ तुम्हारा डर....

के ! घर, कहीं टूट न जाए ढह न जाए....

आखिर! कितने रखरखाव और मेहनत से....
जोड़े रखती तुम घर को, बचाए रखती तुम घर को....

घर को बचाए रखने और बनाए रखने की,
अहमियत को मैंने समझ लिया था......

बहुत छोटी उम्र में मिट्टी से खेलते - खेलते.....

और अगर ना भी खेली होती मिट्टी से....
तब भी सीख ही जाती....
ये गुण....

कहते हैं ! माँ  के गुण.....
स्वतः ही आ जाते हैं , बेटी मैं.........

(c) @ Roop Singh 15/10/2024

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