कष्ट
Photo credit. ..@ Roop Singh
कष्ट
उस रोज़ बहुत भयंकर बारिश हुई....
होती भी क्यों नहीं ?
पिछ्ले दो हफ्तों से गर्मी बहुत तेज़ जो थी...
पर शिकायत है मुझे उन बादलों से...
उन्हें नहीं बरसना चाहिए था..
दो दिन और रुक जाते !..
उस बेचारे पर कहर बनकर टूट पड़े...
बेअकल - बेअदब कहीं के...
आखिर जब कोई दुःखी हो..
ये शब्द ठीक नहीं..
हां, जब कोई बहुत पीड़ा में हो...
अत्यंत पीड़ा में...
तब सबको शांत रहना ही चाहिए...
जब तक के पीड़ा का मवाद , बहकर बाहर ना निकल जाए...
मगर बेशर्मी तो देखो...!
छ्प्पर फाड़ बरसा, चूता रहा रात भर...
कहीं सूखा ना छोड़ा बेचारे के घर में...
वो रो लेना चाहता था, जी भर के...
मगर ये बेशर्म , उस अभागे पर भारी रहे ....
उसके रोने के अधिकार की अनदेखी नहीं होनी चाहिए थी...
हे ईश्वर !....
आखिर ! उस दिन, उसने अपना जवान बेटा खोया था ...!
(c) @ Roop Singh 09/06/21
Photo credit @ Roop Singh