Saturday, May 29, 2021

पहाड़ से दिन

                         Photo credit...Roop Singh


पहाड़ से दिन


ये पहाड़ से दिन कट ही जाते हें...
इंतजार में तुम्हारे...
पर तुम, नहीं आते...

टकटकी लगा कर देखती है मेरी आँखे..
सूने सूने से रास्तों की तरफ...
पर तुम, नहीं आते...

बसंत की बहारे, बारिशों की रिमझिम..
सरद की गुनगुनी धूप, प्राची की कलरव करती बेला...
और ये गर्मियों की चांदनी रातों में ठंडी हवा के झोंके...
सभी तो बुलाते हें तुम्हें...
मगर तुम हो के, नहीं आते..

और, क्या तुम जानते हो ? ये सब मुझे कितना सताते हें...
मगर देखो ! फिरभी ये पहाड़ से दिन कट ही जाते हें...

क्योंकि, तुम केवल इंतजार नहीं हो...
सांसों की डोर सी हो, जो हृदय से जुड़ी है...
सपनों की तस्वीर सी हो, लगता तो यूं भी है के ! तकदीर सी हो...
मगर तुम हो के, नहीं आते...

ये कोई शिकायत नहीं है...
बस एक संतापी का हाल  है...
और एक लेखक का ख़्याल है...
पहाड़ से दिन तो जैसे तैसे कट ही जाते हें....
कट ही जाते हें.......


(c) @ Roop Singh 29/05/21

Sunday, March 7, 2021

जिंदगी

जिंदगी 


                @ Art work by...Roop Singh 

जिंदगी


कभी हँसता हूं तो हॅंस देती है....
रोता हूं, तो रो देती है...
कभी उड़ता हूं, तो संग-संग उड़ती है...
मेरी ख्वाहिशो में....
जो होता हूं गुम-सुम किसी उलझन में ,
तब तू भी तो उलझी रहती है....

मेरी हर सांस से तू है...
या तेरे होने से मेरी साँसें चलती है...
कौन जाने ये रिश्ता कैसा है, और तू कैसी है....
के! नींद में भी बातें करती है...

किस्मत ने जब भी सताया - रुलाया, तब तब तुझपर ही रोना आता है..
खुदगर्जी और नासमझी तो अक्सर मेरी भी होती है...
पर हर बार शिकायत तुझसे ही होती है...

तूने तो हर आह पर साथ दिया, हर राह पर साथ निभाया है...
जो अब भी न मैं तुझको प्यार करुँ ...
तो ! फिर तो, गलती मेरी है...
फिर तो गलती मेरी है...

(c) @ Roop Singh 01/11/17



स्वपन

     मैंने नींद में एक स्वपन देखा, जो आपके साथ साझा करना चाहता हूं।

     देखा ! एक छोटी चट्टान के नीचे मुझे कुछ असामान्य रूप सा चमकता हुआ दिखाई पड़ा। मुझे लगा कोई माणिक है या कोई अनमोल रतन। लालसा और जिज्ञासा दोनों एक ही समय, मेरे मन में प्रकट हो गई। मुझे लगा, मुझे किसी गुप्त धन की प्राप्ति होने वाली है। और मैं जल्द ही धनवान हो जाऊंगा। उत्साह पूर्वक मैंने चट्टान को उठाने का प्रयास शुरू किया । 
       मुझे एक पक्षी का पांव दिखाई पड़ा। मुझे लगा कोई पक्षी दब गया है जो कि मृत है। मैंने चट्टान को थोड़ा उठाया तभी एक जीवित पक्षी वहां से बाहर निकला। जिस पक्षी का पांव मैंने देखा था वह अभी भी दवा हुआ था और वह भी जीवित था। अब मुझे समझ आया कि जो पक्षी बाहर आया है वह नर पक्षी है। जो की चट्टान के नीचे फंसी हुई अपनी साथी मादा पक्षी को बचाने का प्रयास कर रहा था। 
       मेरे धन की लालसा क्षणभंगुर हो गई। और मैंने अपनी पूरी ताकत लगा कर आखिरकार उस चट्टान को उठा ही दिया। मादा पक्षी घायल और मूर्छित थी। कुछ एक क्षण बाद उसे चेत हुआ।
         अगले ही क्षण में देखता हूं। वहां बहुत से जीव जंतु और पक्षी एकत्र हो चुके थे। तब नर पक्षी ने मेरी ओर इंगित करते हुए, सभी जीव जतुओं और पक्षियों को बताया। के मैंने ही मादा पक्षी का जीवन बचाया है। तब एक हिरन जैसा दिखने वाला जीव। सभी की तरफ से धन्यवाद करने के लिए, मुझसे आ लिपटा। मेरा हृदय करुणा और प्रेम से भर गया। मुझे उस गुप्त धन का कोई भी स्मरण न रहा। मैं प्रेम की भावना में सराबोर था।

      तब मादा पक्षी मेरे हाथों पर आकर बैठी और अपने पांव रंग बिरंगे माणिको जैसे चमकाने लगी।.....!!

यह आखिरी पंक्ति मैंने जोड़ दी है बाकी मेरा स्वपन है जो मैंने देखा।

(c) @ Roop Singh 24/07/22