Thursday, September 10, 2020

गुलाब

 

गुलाब


Art work by...Roop Singh

गुलाब


तनिक दिखाओ तो सही...

मेरी मालन...!

क्या लाई हो आज, दोपहर के खाने में...

और क्यों ? तुम मेरे लिए...

एक कोमल पुष्प, बगिया से तोड़ लाती हो...

रोज़ाना ही....


कहां संभाल पाऊंगा मैं इनकी ख़ुशबू....

तुम ही तुम तो रहती हो...

मेरे हृदय और मस्तिष्क में...


अरे वाह !...'खीर - पुडी'...

कैसे तुम जान जाती हो...

मेरी पसंद ना पसंद...


मेरे प्रीतम...

तुम्हें याद है ना!

तुम्हें गुलाब और इनकी महक कितनी पसंद थी...

के तुम मेरी बगिया के रस्ते आ जाया करते थे...

हर रोज़ ही...


इन्हीं गुलाबों की देन तो है...

हमारा प्रेम प्रसंग और हमारा ये मिलाप...

कहीं ये गुलाब बुरा ना मान जाएं...

इसीलिए मैं रखती हूं इन्हें, हमारी मुलाकातों के बीच...

ताकि महकता रहे हमारा प्रेम...


चलो अब...खीर खालो !!


(c)@ Roop Singh 10/09/20

12 comments:

Thankyou so much