Wednesday, August 12, 2020

छतरी

 छतरी



वो टूटी हुई छतरी...
मेरे, मर चुके दादा की...

वो बड़ी सी छतरी...
कपास के सूती कपड़े वाली...
काले रंग की छतरी...
मेरे दादा की...

छड़ी जैसे डंडे वाली...
वो फटी हुई छतरी...
जिसके चाको पर लगी हैं पातियां ....
वो पुरानी सी छतरी...
मेरे दादा की...

जिसकी तिल्लियां अब भी, खुलने को आतुर दिखाई पड़ती हैं...
जिन्हें देखकर, मुझे लगता है....
जब ठंड के किसी एक दिन, भयंकर बारिश होगी....
तब ये छतरी ! ....
मेरे, मर चुके दादा की छतरी...

मुझे जरूर बचा लेगी...

ऐसे ही थोड़े संभाल कर रखी होगी...
मेरे पिता ने...

(c) @ Roop Singh 12/08/20


Art work by...Roop Singh


पुरानी चीजें


    घर मैं बहुत सी पुरानी चीजों को सहेज कर रखने के पक्ष में मैं नहीं हूं। हमें वर्तमान में जीना चाहिए। भविष्य को गढ़ना चाहिए। और अपने स्तर पर भी कुछ खास ऐसा करना चाहिए। जिसे सहेजा जाए। कुल मिला कर मैं कुछ खास और सृजनात्मक चीजों को सहेज कर रखने के पक्ष में हूं। अगर हम भी कुछ अनूठा करेगें तो चाहेंगे की उसे सहेजा जाए। आने वाली पीढ़ी भी उसे सहेजे। ऐसे ही जो हमारे बुजुर्ग कुछ खास करके गए, हमें उनके सम्मान में और भावी पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत के लिए उनके किए गए कामों या उनके द्वारा छोड़ी गई कुछ खास वस्तुओं को जरूर संभालना चाहिए।
            ये उचित भी है। एक तो जो अपने बुजुर्ग हमसे दूर जा चुके हैं, इन चीजों के माध्यम से वे हमारे पास ही जान पड़ते है। दूसरा उनके प्यार और आशीर्वाद की महक बनी रहती है। पुरानी वस्तु या काम की एक अलग कीमत भी होती है। और एक अलग और बेजोड़, हृदय को छूने वाला जुड़ाव भी। और पुरानी चीजें हमारे अंदर भी एक सकारात्मक ऊर्जा भर्ती है , हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है । सच पूछो ! तो यही पुरानी चीजें और पुराने काम चाहे वो साहित्य में हो या कला की किसी विद्या में।  ये सब हमें कलात्मक बनाते है और अपने अनुभव हमें प्रदान करते है। हमें भी उनकी मेहनत और उनके खोजे तरीकों या उपकरण आदि का सम्मान करना चाहिए। सही तरीका यही है कि , हम उनके काम को ना केवल सही ढंग से सहेजें - सराहें, साथ में उसे देखें भी, समझे भी,  सुने भी और उससे कुछ सीखें और कुछ नया करें।

Roop Singh 06/09/20   11:30 AM