वो बहक गया था, अपने एक स्वपन में आके..
उस अनमोल मोती को पाने के लिए..
अब वो गहराइयों में गोते लगाता..
पर हाथ उसके कुछ ना आता...
आखिर उसे समझना चाहिए था....
स्वपन के व्याकरण को...
पर वो नहीं माना....
जैसे कोई और अर्थ ही ना रह गया हो,
जीवन का, उसके लिए....
वो गहराइयों में पाताल तक जाता,...
परन्तु उसे हर बार एक ही शब्द, एक ही स्वर सुनाई पड़ता...
प्रयास....प्रयास....केवल प्रयास !!
c@ Roop Singh 17/03/2020
हर वो व्यक्ति जो अपने जीवन में सफल होना चाहता है। जरूरी है वह एक उद्देश्य बनाए, लक्ष्य बनाए। एक सपना देखे अपने सफल होने का और उस सफलता के फल का । और उसकी प्राप्ति के लिए भरकस कोशिश करे। जब तक प्रयास करे तब तक के सफलता ना प्राप्त हो जाए।
यही मेरी उपरोक्त पंकितियो का सार है।
बाकी कविता कई सारी बाते कहती है। उसके आनंद को ,उसके भाव को अलग अलग दृषटिकोण से समझा जा सकता है। और जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाया जा सकता है। बस व्यक्ति की रुचि अच्छे लेखन को पढ़ने में होनी चाहिए।
Superb ..Bhai
ReplyDeleteThankyou so much
DeleteKya Khoob likhte ho
ReplyDeleteThankyou so much
ReplyDeleteDeepthought
ReplyDeleteAmazing
ReplyDelete