एक खोजी
तुम एक रहस्यलोक मे रहे ....
हजारो युगों से....
क्या तुम्हे पता था ?
कोई तुम्हे इस तरह खोजेगा....
के ! गहराइयों के तलों तक तुम्हे टटोलेगा...
और रहस्य तुम्हारे सारे खोलेगा...
ये तुम्हारी सुंदरता की जटिलता नहीं थी केवल...
ये एक हटी खोजी की प्रयत्नशीलता भी रही...!!
c@ Roop Singh 22/01/2020
जब भी हम कुछ अच्छा पढ़ते है। तब हमें एक आत्मिक सुख़ तो मिलता ही है। साथ ही हमारे विवेक के सोचने समझने का एक तरीका विकसित होता है या उसपर विचार के लिए उत्सुक और रुचिकर होता है । अच्छा पढ़ना लिखना व्यक्ति को विवेकशील बनाता
है। और तब व्यक्ति अपने अंतर्मन में स्वयं से एक अच्छी बार्तालाप कर पाता है।
वैसे मैंने ये कविता एक बायोलॉजिस्ट कि खोज से प्रेरित होकर लिखि थी।
मानव जीवन की इतिहास से लेकर अब तक जो यात्रा रही है। उसमे हमने पहिए से लेकर आज की नई तकनीकी तक कई महत्वपर्ण खोजें की । साथ ही हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में , भूगोलिक गतविधियों से लेकर अंतरिक्ष में भी दूर तक कई खोजें और जानकारियां जुटाई है। जिनसे हमे सहूलियतों के साथ साथ , हमारे ज्ञान को भी वृद्धि मिली। और आज भी अलग अलग क्षेत्रों में नई पीढ़ी नए आयाम गड़ रही है। हमारे पुरातत्वविदों ने भी जिस तरह छुपे हुए रहस्यों को उजागर करके लोगों को इतिहास और पुरानी जीवन शैली , व्यवस्था आदि को जानने समझने का मौका दिया। ये सराहनीय है।
अगर हम किसी भी क्षेत्र के एक खोजकर्ता कि दृष्टि से देखे तो वो अपने पूर्व आकलन, अनुभव, सिद्धान्तों, कई वर्षों के परिश्रम, अनुसंधान आदि के बल पर काम करता है। और सबसे महत्वपूर्ण उसका जूनून, उसकी महत्वाकांक्षा , उसके किए गए कार्य आदि किस तरह एक छुपे हुए रहस्य से पर्दा उठाते है। किस तरह जो रोमांच वर्षों से उसके दिलो - दिमाग ,सपनों में उसे बेचैन करता रहा, उस रोमांच को सबके सामने प्रकट कर देता है। खूबसूरत और दुनिया के लिए जरूरी खोजें करता है।
जो अंतिम पंक्ति है। " ये तुम्हारी सुंदरता की जटिलता नहीं थी, केवल ! ये एक हटी खोजी की प्रयत्नशीलता भी रही "!
तो जो आकर्षण था , वो दोनों तरफ था। जिसके चलते रहस्य को एक दिन प्रकट होना ही पड़ता है।
Roop Singh
Sundar
ReplyDeleteBahut achchhi lagi aapki kavita...
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