जिन्दगी खाने से चलती है...
ना मिले ! तो दाने से चलती है....
तन ढकने को कपड़े हो....
जो अच्छे ना हो , तो फटे - पुराने से चलती है...
रहने को घर हो....
और जो ना हो....
तो तिरपाल चढ़ाकर तम्बू लगाने से चलती है....
जिन्दगी सबकी चलती है....
कुछ करने वालों की, जुगत लगाने से चलती है...
और कुछ ना करने वालों की ....?
नए - नए ढंग के बहाने से चलती है....!!
c@ Roop Singh 18/03/2020
लेखन के कई प्रकार है । जिनमे से कविता भी है । जिसे लिखने और बोलने के अलग अलग प्रकार हो सकते है। महत्वपूर्ण है कविता का भाव। लेखक अपने भाव से लिखता है और पाठक अपने अंदाज में उस भाव को प्राप्त करता है। जो पाठक उसके मूल भाव और रस को समझता है, उस तक लेखन सामग्री पहुंच जाए तो लेखक कुछ सफल हुआ समझो।
हर लेखक का अपना एक अंदाज़ होता है लिखने का, बात को सरल तरीके से सीधे भी लिखा जा सकता है और अलग ढंग से भी। विषय का एक अपना प्रभाव होता है और उसके लिखने के ढंग का अपना। शब्दों के चयन की अपनी भूमिका होती है। लेखक अपनी तन्मयता से जो कुछ लिखता हे, सबसे पहले वही लेख का आनंद उठाता है। और जब पाठक को सामग्री उपलब्ध होती है तब पाठक की रुचि पर निर्भर करता है, वह कितनी गहराई में गोते लगा पाता है । और कितना आनंद प्राप्त करता है।
सच कहा
ReplyDeleteSuperb
ReplyDeleteNice
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